Please support the podcast: https://amzn.to/2DpbiLL Sushil Bharti is a short story writer, storyteller, director Broadcasting in Radio Noida. He is a prolific film screen writer, speaker and mentor. SAFAR YADON KA is a platform where one can find stories of relationship, life, love and hate. This podcast is supported by Radio Noida 107.4fm community Radio. Send your stories on [email protected]. Support this podcast: https://anchor.fm/aap https://anchor.fm/sushil-bharti08/support
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दूर दराज ग्रामीण भारत में आज भी व्यवस्था दशकों बाद भी जैसे वहीं रुकी हुई है। ऐसा लगता है हालात और स्थितियां वही है बस चरित्र बदल गए हैं। क्या कभी इस भ्रष्ट व्यवस्था से समाज को छुटकारा मिल पाएगा? कब तक दशकों पहले के समाज की मानसिकता की पुनरावृति होती रहेगी?
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कब्र का मुनाफा - तेजेंद्र शर्मा (Epi- 80)
30:05
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30:05वतन के उस पार की एक दुनिया। जीवन भर स्टेटस और ऊंचा मकाम हासिल करने की ख्वाहिश। इस बीच ज़िन्दगी कहीं हाथ से फिसली जाती है। पैसा कमाने की लत और रास्ते फिर उन्हें एक ढर्रे पर डालना चाहते हैं और पैसा कमाने हसरतें सर उठाती है। लेकिन इसके आगे क्या?
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स्वयं से बेटी तक के सफर में कुछ डर और आशंकाएं। रिश्तों पर अविश्वास। पल प्रतिपल संदेहों को टटोलती और स्मृतियां में डूबती उतराती एक संवेदशील कहानी।
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दादी मुल्तान और टच एंड गो-तरुण भटनागर-भाग-2(Epi-78)
23:53
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23:53विभाजन की त्रासदी और दादी के मन में बसा मुल्तान शहर, मनुष्य के द्वारा खीची गई दो देशों के बीच लकीरों को नकारती हैं। दादी के पास कहने के लिए बहुत कुछ नहीं था। पर उसके पास मुल्तान की बातें थी। वह मुल्तान के साथ रही इच्छा ये की उसके बाद भी मुल्तान किसी के मन में ज़िंदा रहे।
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दादी मुल्तान और टच एंड गो- तरुण भटनागर - भाग-1(Epi-77)
24:42
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24:42इस दुनिया में सिर्फ औरत को ही अपना घर छोड़ना पड़ता है। जानवरों के पास भी यह हक है कि वे अपने इलाके को नहीं छोड़ते। दादी के मन में भी एक शहर बसता है। जाने क्या है यह रिश्ता।
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खिला है ज्यों बिजली का फूल-भाग-2-राकेश बिहारी (Epi- 76)
25:26
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25:26सम्बन्धों में सम्मान और प्रेम की कमी एक अजीब खालीपन पैदा करती है। संबंध वक्त के मोहताज नहीं, वे अपना रास्ता बना ही लेते है जहां उन्हें अपने लिए उर्वरा ज़मीन मिलती है। इंसान को जहां प्रेम और सम्मान मिलता है फिर भले ही आप लाख सामाजिक व्यवहार और संस्कार की बात क्यों ना करें।
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खिला है ज्यों बिजली का फूल- भाग -1 -राकेश बिहारी (Epi- 75)
26:18
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26:18वैवाहिक जीवन और प्रेम दो अलग धरातल हैं। साथ रहकर भी क्या साथ रहते हैं लोग? क्या है जो ढूंढते हैं अपने मन का, जहां खोल दे मन के द्वार और जी लें थोड़ा सा जीवन, आज के लिए। वर्तमान संबंधों में नए अर्थ ढूंढती एक एक बेहरीन कहानी।
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जीवन में कुछ चरित्र अजीब होते हैं। ऐसे ही एक चरित्र हैं मोहन झा। देखें कौन है मोहन झा और क्या है उनका चरित्र।
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बंद कोठरी का दरवाज़ा - रश्मि शर्मा (Epi-73) भाग - 2
29:10
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29:10स्त्री पुरुष संबंधों के दायरों के इतर एक तबका है, जिसे अपनी पहचान, अपनी प्रवृति, और प्रेम को छुपाना पड़ता है। अब कानून में बदलाव से थोड़ी राहत मिली है लेकिन क्या समाज से भी?
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बंद कोठरी का दरवाजा - रश्मि शर्मा (Epi-72) भाग-1
28:58
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28:58भारतीय समाज में आज भी स्त्री पुरुष संबंधों को ही मान्यता है। इसके इतर संबंधों की बात सोच पाना या जीवन में उसे सहजता से ले पाना आज भी एक बड़ी चुनौती है। लेकिन सच पे पर्दा कब तक?
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एक सैनिक का जीवन और बंदूक के साथ उसका संवाद इस कहानी के माध्यम से दुनिया के युद्धों की हकीकत बयां करती है। दुनिया आज भी सैनिकों के जीवन से कुछ नहीं सीख पाई। काश दुनिया थोड़ी संवेदनशील हो जाए।
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माँ और मिट्टी की जड़ें बहुत गहरी होती हैं। बदलते परिवेश और शहरीकरण के अंधानुकरण में बहुत कुछ है जो वक्त के चलते दाँव पर लगा दिया गया। रिश्ते, नाते, अपनापन, अपनी ज़मीन, अपना घर उससे जुड़ी यादें, बहुत कुछ ऐसा था, जिसमें ज़िंदगी समाहित थी। अब लोग ज़िंदा तो है लेकिन क्या सही मायने में ज़िंदगी से सराबोर हैं?
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हर इंसान की जीवन यात्रा उसकी अपनी जीवन यात्रा है। किसी के पदचिन्हों पर चलकर क्या स्वयं की यात्रा पूरी हो सकती है। क्या दूसरों के द्वारा गढ़े गए रास्ते आपके अपने रास्ते हो सकते हैं? ऐसे ही एक रास्ते को अपना आदर्श मानकर अनुष्ठा ने उस पर चलने की कोशिश की है, देखें उसकी परिणति।
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क्या स्वयं का जीवन लेना इतना आसान है? क्या होता है आत्महंता के दिमाग में? कैसे जुड़ती है कड़ियाँ और पहुँचती है एक बिन्दु पर जहां जीवन निरर्थक लगता है।
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वीर- शीला की प्रेमकथा- सुशील भारती ( Epi-67)
21:00
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21:00एकतरफा प्रेम की पींगें और उस पर दांव पर लगा जीवन। लेकिन प्रेम है की वह कुछ भी सोचना समझना नहीं चाहता।
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शादी के बाद भरा पूरा घर, एक गुले गुलज़ार आशियाना। बच्चों का धीरे धीरे उड़ जाना। कैसा होता है बाकी बचा जीवन और स्मृतियों में गोते लगाना।
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तीसरे कदमों की आहट- सुषमा व्यास राजनिधि (Epi-65)
21:51
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21:51स्त्री और पुरुष के अलावा ईश्वर ने एक तीसरा रूप भी गढ़ा है। समाज से परित्यक्त इस वर्ग के पास भी दिल है, भावनाएं और संवेदनाएं भी हैं। जहां अपने, अपने न हुये वही कभी कभी ये भी किसी के काम आते है और रिश्ते बनाते हैं।
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बढ़ती उम्र और उसके सपने लेकिन सामाजिक वर्जनाओं के चलते लड़की होने की चिंताएं। एकल परिवार और बुजुर्गों के तिरस्कार का खामियाजा भुगतता परिवार।
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एक स्त्री की सत्ता उसके पुरुष से बंधी है। पुरुष है तो उसका वजूद है। अगर परित्यक्ता है जीवन एक बोझ है, संत्रास है पीड़ा है। वह किसी की ज़रूरत नहीं, समाज के लिए उसका कोई वजूद नहीं। लेकिन अगर उसने अपने लिए मरूस्थल में एक बूंद की प्यास की भी इच्छा ज़ाहिर की तो वह पूरे समाज की जवाब देह है। कैसी विडम्बना है।
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एक परित्यक्त स्त्री का जीवन एक अजीब जीवन यात्रा है। ज़िंदा होते हुये भी, हर पर मौत। यह मौत कब कब और कैसे होती है इसे गढ़ा है जयश्री रॉय ने। Story: Nisang Writer: Jaishree Roy
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प्रेम की कोई भाषा नहीं, यह एक निज भाव है, बस जिससे होता है टूटकर होता। प्रेम की भाषा इंसान, पशु, पक्षी, वन्य जीव जन्तु सब समझते है और यह एक ऐसा सूत्र है जिससे कोई भी अनायास ही जन्म जन्मांतर के लिए बांध जाता है।
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नीले घोड़े वाले सवारों के नाम - कमलेश भारतीय (Epi-60)
19:22
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19:22बेटी का जन्म लेना सिर्फ जन्म लेना नहीं होता वह अपने साथ लाती है ढेर सारी खुशियां, एक ठहरी हुई मुस्कुराहट, एक अपनापन, मधुरता और जीवन। लेकिन सामाजिक वर्जनाओं के चलते साथ में चलते हैं, दुख, पीड़ाएं और अनगिनत भय: Story: Neele Ghode wale sawaron ke naam Writer: Kamlesh Bhartiya
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जीवन चलने का नाम- नरेंद्र कौर छाबड़ा (Epi-59)
20:58
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20:58सीधी सरल ज़िंदगी अच्छी भली ज़िंदगी में, किसी की गलतियों का खामियाजा उसने भुगता। मन समझाया और उस औलाद को अपना लिया उसे प्रेम के साथ। Story: Jeevan Chalne ka Naam Writer: Narendra Kaur Chhabra
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जीवन यात्रा में इंसान के कई पड़ाव होते हैं। परिवार और समाज इंसान को बांधे रखते हैं लेकिन उसका मन मधुर स्मृतियों में टका होता है और हर पल अपनी ज़मीन तलाशता रहता है। Story: Bunde, writer: Anjana Chhalotre
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इंसान के मन का भेद जान पाना बड़ा मुश्किल है। जीवन में साथ रहते हुये भी किसके मन में क्या चल रहा है कोई पता नहीं लगा सकता। श्रद्धा नायक एक विवाहिता हैं और पति का एक दिन अचानक गायब होना कहानी को एक अजीब मोड पर ला देता है।
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एक स्त्री के लिए भारतीय समाज में घर, परिवार और समाज बहुत मायने रखता है। बांझ शब्द से अभिशप्त नारी के लिए इस समाज में कोई जगह नहीं, लेकिन यहाँ शीला तो अब सब कुछ होते हुये भी ममत्व के सुख से महरूम है, जो उसे गहरे सालता भी है। यह सुख किसी भी स्त्री की पूर्णता के लिए ज़रूरी है।
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एक स्त्री के लिए ममत्व की आस से बढ़कर कुछ नहीं। लेकिन यह सिर्फ उसी के हाथ में हो ऐसा नहीं है। पुरुष का संसर्ग और ईश्वर की सीधी नज़र और कृपा भी इसके लिए जरूरी है। इन सबके संयोग से ही उसके दामन में खुशी भरती है और वह पूर्ण होती है। इस संदर्भ में स्त्री का सब कुछ ठीक रहा तो उसका सौभाग्य और नहीं तो दुर्भाग्य और इसी के बीच में युगों युगों से फंसी है स्त्र…
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कुछ दुख ऐसे होते हैं जिन्हें किसी को नहीं बता सकते हम।...पर रिश्तों में कभी कभी ऐसा भी होता है की आप इतना समझ जाते है इतना दुख पी लेते हैं की आगे मिलने वाला दुख बेअसर हो जाता है, फिर आप चलते नहीं...वहीं रुक जाते हैं। माज़ी की खूबसूरत यादों को दोहराते हैं। प्रेम में जीते हैं.....हँसते हैं...रोते हैं....मगर वो अतीत होता है।…
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दुनिया परिवर्तनशील है तो प्रेम क्यों नहीं? जब हर चीज़ का एवोलुशन हो रहा है तो प्रेम का क्यों न हो। प्रेम की पड़ताल, सम्बन्धों की बारीकियाँ और सहज प्रेम के धारा को सहेजती यह कहानी आज रिश्तों को एक मजबूत आधार देती है और प्रेम में अपने लिए क्या बेहतर है इसे भी बहुत खूबसूरती से बताती है।
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गहरे तलाब की विरासत- अल्का सिन्हा (Epi-52)
20:22
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20:22पिता के सिद्धान्त और पुत्र का यथार्थ के धरातल पर अपने ढंग से जीवन को देखने की दृष्टि को नई बात नहीं। अक्सर पिता पुत्र के सम्बन्धों में बहुत कुछ वक्त के साथ टूट जाता है। सिद्धांतवादी पिता के लिए यह एक असहनीय दर्द बनकर उभरता है, और उसे निरंतर सालता रहता है।
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नदी जो अब भी बहती है-भाग-2-कविता (Epi-51)
15:18
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15:18एक ऐसी संतान न जिसके आने की खुशी न जाने का गम लेकिन फिर भी क्या है एक स्त्री होना और उसकी पीड़ा से गुजरना। वह नदी सूखती नहीं सच वह अब भी बहती है।
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नदी जो अब भी बहती है-भाग-1-कविता (Epi-50)
21:41
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21:41एक स्त्री मात्रत्व की गहरी पीड़ा से गुजरते हुये स्वयं के गर्भ में ईश्वरीय लीला का कोप झेलती है। प्रेम, परिवार और जीवन के बीच झूलती यह कहानी स्त्री होने की और पाकर खोने की पीड़ा के धागों से बुनी गई है।
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मछली मछली कितना पानी- प्रताप सहगल (Epi-49)
25:58
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25:58स्त्री और पुरुष सम्बन्धों में टकराता अहम और स्पेस की समस्या को लेकर लिखी गई एक बेहतरीन कहानी। प्रिया जहां प्रतिधित्व करती है आज की एक महत्वाकांक्षी स्वतंत्र विचारों से लैस एक आधुनिक नारी का, वहीं मनोहर एक पढ़ा लिखा नौजवान होकर भी पत्नी की मूल सत्ता को स्वीकार नहीं पाता। यह हर उस इंसान की कहानी है जो आज भी एक ठहरी हुई सोच के साथ जी रहा है।…
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एक आम इंसान की दुनिया और उसके बहते दुख किसी न किसी रूप में बाहर आ ही जाते हैं। प्राचीन एतिहासिक इस्मारकों को घूमाने वाले गाइड भी समय और समाज को अपने ढंग से पढ़ते हैं। सुने एक ऐसी ही खूबसूरत कहानी - देश दर्शन जिसे लिखा है कमलेश भारतीय ने।
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हताश निराश जीवन का कहर कहीं टूटता है तो वो या तो महिलाओं पर या बच्चों पर। पिता की नादानियों का खामियाजा भुगता एक मासूम बच्चे ने, कैसे एक फैसले से कई ज़िंदगियाँ बदल गईं। सुनिए प्रतिभा जौहरी के द्वारा लिखी कहानी झुलसी पंखुड़ियाँ।
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प्रेम के रास्ते में परिवार, धर्म, रीतिरिवाज और सोच अक्सर आधे आती है लेकिन प्रेम सभी गंतव्यों को पार कर अपना रास्ता बना ही लेता है। नांसी और उसके प्रेमी का जीवन भी कुछ ऐसा ही है।
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अनाथ शैरोन का टूटकर बिखरना और बिली में नए जीवन को तलाशना। प्रेम और ममत्व में उलहे बिली की कहानी का क्या अंजाम होगा।
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बीली एक वयस्क तो हुआ लेकिन कुछ धारणाओं के साथ, उसे प्रेमिका तो मिली लेकिन उसने उसमें माँ देखनी चाही और प्रेमिका को माँ नहीं चाहिए।अंतत बीली ने माँ के अलावा अपने जीवन से औरत के किसी भी रिश्ते को अपनी डिक्सनरी से निकाल फेंका है।
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औरत के कई रूप है, माँ, पत्नी, प्रेमिका, दोस्त, हमसफर और न जाने कितने। लेकिन बच्चा एक ही रूप जानता है, माँ का रूप। अपनी कैद एक ऐसी ही माँ और बेटे की नज़दीकियों की कहानी है, जिसमें वक़्त बदला, शरीर बदला, जीवन बदला लेकिन अगर नहीं बदला तो माँ का स्मृतियों में धंसा उसका गहरा रूप और प्रभाव।
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तन मछरी, मन नीर- भाग-3- विवेक मिश्र (Epi-42)
20:12
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20:12रजवाड़ों में हवेलियों के पंजे से निकल पाना इतना आसान नहीं। प्रेम अगर आग है तो दर्द उसको और भड़काने वाला घी। एक तरफ सुवासिनी का जीवन, दूसरी और बिसन का जीवन और तीसरी ओर है कुँवर नाहर सिंह की सरकार, जहां इंसानी दर्द और पीड़ा की कोई सुनवाई नहीं। क्या कहानी के तीसरे भाग में प्रेम अपनी गति पाएगा या मिलेगी मौत?…
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तन मछरी, मन नीर- भाग-2- विवेक मिश्र (Epi-41)
18:00
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18:00सुवासिनी की दशा उस परिंदे की तरह है जो बंद पिंजरे में छटपटा भी नहीं सकता। दुख है लेकिन उसे बता भी नहीं सकता, क्योंकि यहाँ हवेली के मर्दों के सामने कोई कानून नहीं। सुवासिनी की इस गहरी पीर को बिसन के अलावा एक और इंसान ने समझा है। इसे जानने के लिए सुनते है दर्द और बिखराव के बीच झूलती सुवासिनी की कहानी।
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तन मछरी, मन नीर-भाग-1-विवेक मिश्रा (Epi-40)
23:00
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23:00रजवाड़ों और हवेलियों में हमेशा से तमाम रज़ दफन होते हैं। शायद ही उनका किसी को पता चलता हो। घटनाओं को अंजाम देने में और तमाम गहरे छुपे राज़ों को छुपाने में हवेली के लोग ही शामिल होते हैं।सुवासिनी का कुँवर के साथ विवाह, उसका अपने पहले प्रेम में डूबा मन, उसके लिए काल बन जाता है। ऐसी ही एक खूबसूरत कहानी है 'तन मछरी, मन नीर'।…
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रिटर्न गिफ्ट- भाग -2- रेणु मिश्रा (Epi-39)
19:15
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19:15मन की चाहत और हृदय के स्वाभाविक उच्छवास को परंपरा और रीति रिवाजों की भेंट चढ़ने देना और उसके बाद आजीवन एक सहज रिश्ते की कल्पना का अभिशाप झेलना देश के करोड़ों युवाओं की कहानी है। जीवन ढल तो किसी के भी साथ जाता है लेकिन क्या पीड़ित मन अपनी बात कह पाता है? आजीवन कृत्रिम गढ़े सम्बन्धों को न्यायोचित ठहराना और अंत में भाग्य में लिखा होने की कहानी को अपनी निय…
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रिटर्न गिफ्ट - भाग -1 - रेणु मिश्रा (Epi-38)
17:51
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17:51परिवार, समाज और संस्कार के चलते व्यक्ति के प्रेम से जुड़ी भावनाओं का दमन और गाहे बगाहे मन के किसी कोने से झांकती वो हसरतें बार बार सिर उठाती है। प्रेम में एक दोहरी ज़िंदगी आज इस देश की आधी से ज़्यादा आबादी का सच है। क्या सहज, सरल, स्नेहिल प्रेम के लिए इस समाज में कोई स्थान है? क्या इन रिश्तों को कोई नाम दिया जा सकता है? ऐसी ही तमाम किस्सो को यह कहानी …
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गीताश्री देश की एक लोकप्रिय हिन्दी कथाकार हैं। आंचलिक कहानियों का हमेशा से एक सौन्दर्य रहा है। इस कहानी में रूंपा की अपनी एक छोटी सी दुनिया है, जो सजने, संवरने की चाहत में बिखरती, उजड़ती है और उसे ज़िन्दगी के एक ऐसे मकाम पर लाकर खड़ा कर देती है जहां भाग्य की नियति स्वयं इंसान के लिए कुछ तय करती है। क्या तय किया है रुंपा के लिए चलिए सुनते हैं आज की …
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कथाकार गीताश्री के द्वारा लिखी गई यह कहानी भारत के अंचल विशेष के खूबसूरत परिवेश को उकेरती एक संवेदनशील कहानी है। जहां प्रेम है, अपना हक़ है, दुख और सुख के पल है और साथ ही है जीवन का घना अधियारा। सहज सरल भावनाओं में डूबती उतराती कहानी "सोनमछरी" आपको एक अनोखी दुनिया की सैर कराती है। जहां आपको मिलेगा ज़िंदगी का एक वास्तविक रंग, जहां यथार्थ पूरी तरह से ज…
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पिंजरे के पंछी - भाग -2- नीरज कुमार नीर (Epi- 35)
15:35
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15:35पिंजरे के पंछी एक ऐसी कहानी जिसमें एक बुजुर्ग दंपति की छोटी छोटी हसरतें हैं, पूरी ज़िंदगी तपने और खटने के बाद एक सुकून की तलाश है। वही संतान की खातिर खुशियों का त्याग है। क्या वक्त के साथ नजदीकी रिश्तों में पनप रही संवेदनहीनता के चलते बची खुची ख्वाहिशें पूरी हो पाएँगी?
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पिंजरे के पंक्षी-भाग-1-नीरज कुमार नीर (Epi-34)
19:22
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19:22शहर हो या ग्रामीण परिवेश बुजुर्गों के लिए यह समय चुनौतियों से भरा हुआ है। एक तरफ खून का संबंध और दूसरी ओर बदलती हवा में बदलते रिश्तों को परत दर परत उघाड़ती ये कहानी अपने कलेवर में बहुत से प्रश्न समेटे है।
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पिता और पुत्र के सम्बन्धों की एक भावनात्मक कहानी जिसमें बेटा पिता की संघर्षों को दरकिनार कर उनसे हमेशा यही पूछता है की "आपने मेरे लिए किया ही क्या है? इस गहरे प्रश्न का उत्तर पुत्र को एक अजीब घटना के माध्यम से मिलता है। यह कहानी वर्तमान समाज में सैद्धान्तिक जीवन निरादर और धन से व्यक्ति की प्रतिष्ठा के मूल्यों को स्थापित करते हुये समाज का एक आईना पे…
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रिश्ता मोहब्बत का - नीलम सक्सेना चंद्रा (Epi-26)
22:10
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22:10A beautiful story......Love always finds its way. This story also tells that finally whatever is your fate, it will bound to happen. This episode is sponsored by Anchor: The easiest way to make a podcast. https://anchor.fm/app
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