Sushil Bharti public
[search 0]
More
Download the App!
show episodes
 
Artwork

1
Safar Yadon Ka

Sushil Bharti

icon
Unsubscribe
icon
icon
Unsubscribe
icon
Monthly
 
Please support the podcast: https://amzn.to/2DpbiLL Sushil Bharti is a short story writer, storyteller, director Broadcasting in Radio Noida. He is a prolific film screen writer, speaker and mentor. SAFAR YADON KA is a platform where one can find stories of relationship, life, love and hate. This podcast is supported by Radio Noida 107.4fm community Radio. Send your stories on [email protected]. Support this podcast: https://anchor.fm/aap https://anchor.fm/sushil-bharti08/support
  continue reading
 
Loading …
show series
 
दूर दराज ग्रामीण भारत में आज भी व्यवस्था दशकों बाद भी जैसे वहीं रुकी हुई है। ऐसा लगता है हालात और स्थितियां वही है बस चरित्र बदल गए हैं। क्या कभी इस भ्रष्ट व्यवस्था से समाज को छुटकारा मिल पाएगा? कब तक दशकों पहले के समाज की मानसिकता की पुनरावृति होती रहेगी?
  continue reading
 
वतन के उस पार की एक दुनिया। जीवन भर स्टेटस और ऊंचा मकाम हासिल करने की ख्वाहिश। इस बीच ज़िन्दगी कहीं हाथ से फिसली जाती है। पैसा कमाने की लत और रास्ते फिर उन्हें एक ढर्रे पर डालना चाहते हैं और पैसा कमाने हसरतें सर उठाती है। लेकिन इसके आगे क्या?
  continue reading
 
स्वयं से बेटी तक के सफर में कुछ डर और आशंकाएं। रिश्तों पर अविश्वास। पल प्रतिपल संदेहों को टटोलती और स्मृतियां में डूबती उतराती एक संवेदशील कहानी।
  continue reading
 
विभाजन की त्रासदी और दादी के मन में बसा मुल्तान शहर, मनुष्य के द्वारा खीची गई दो देशों के बीच लकीरों को नकारती हैं। दादी के पास कहने के लिए बहुत कुछ नहीं था। पर उसके पास मुल्तान की बातें थी। वह मुल्तान के साथ रही इच्छा ये की उसके बाद भी मुल्तान किसी के मन में ज़िंदा रहे।
  continue reading
 
इस दुनिया में सिर्फ औरत को ही अपना घर छोड़ना पड़ता है। जानवरों के पास भी यह हक है कि वे अपने इलाके को नहीं छोड़ते। दादी के मन में भी एक शहर बसता है। जाने क्या है यह रिश्ता।
  continue reading
 
सम्बन्धों में सम्मान और प्रेम की कमी एक अजीब खालीपन पैदा करती है। संबंध वक्त के मोहताज नहीं, वे अपना रास्ता बना ही लेते है जहां उन्हें अपने लिए उर्वरा ज़मीन मिलती है। इंसान को जहां प्रेम और सम्मान मिलता है फिर भले ही आप लाख सामाजिक व्यवहार और संस्कार की बात क्यों ना करें।
  continue reading
 
वैवाहिक जीवन और प्रेम दो अलग धरातल हैं। साथ रहकर भी क्या साथ रहते हैं लोग? क्या है जो ढूंढते हैं अपने मन का, जहां खोल दे मन के द्वार और जी लें थोड़ा सा जीवन, आज के लिए। वर्तमान संबंधों में नए अर्थ ढूंढती एक एक बेहरीन कहानी।
  continue reading
 
स्त्री पुरुष संबंधों के दायरों के इतर एक तबका है, जिसे अपनी पहचान, अपनी प्रवृति, और प्रेम को छुपाना पड़ता है। अब कानून में बदलाव से थोड़ी राहत मिली है लेकिन क्या समाज से भी?
  continue reading
 
भारतीय समाज में आज भी स्त्री पुरुष संबंधों को ही मान्यता है। इसके इतर संबंधों की बात सोच पाना या जीवन में उसे सहजता से ले पाना आज भी एक बड़ी चुनौती है। लेकिन सच पे पर्दा कब तक?
  continue reading
 
एक सैनिक का जीवन और बंदूक के साथ उसका संवाद इस कहानी के माध्यम से दुनिया के युद्धों की हकीकत बयां करती है। दुनिया आज भी सैनिकों के जीवन से कुछ नहीं सीख पाई। काश दुनिया थोड़ी संवेदनशील हो जाए।
  continue reading
 
माँ और मिट्टी की जड़ें बहुत गहरी होती हैं। बदलते परिवेश और शहरीकरण के अंधानुकरण में बहुत कुछ है जो वक्त के चलते दाँव पर लगा दिया गया। रिश्ते, नाते, अपनापन, अपनी ज़मीन, अपना घर उससे जुड़ी यादें, बहुत कुछ ऐसा था, जिसमें ज़िंदगी समाहित थी। अब लोग ज़िंदा तो है लेकिन क्या सही मायने में ज़िंदगी से सराबोर हैं?
  continue reading
 
हर इंसान की जीवन यात्रा उसकी अपनी जीवन यात्रा है। किसी के पदचिन्हों पर चलकर क्या स्वयं की यात्रा पूरी हो सकती है। क्या दूसरों के द्वारा गढ़े गए रास्ते आपके अपने रास्ते हो सकते हैं? ऐसे ही एक रास्ते को अपना आदर्श मानकर अनुष्ठा ने उस पर चलने की कोशिश की है, देखें उसकी परिणति।
  continue reading
 
क्या स्वयं का जीवन लेना इतना आसान है? क्या होता है आत्महंता के दिमाग में? कैसे जुड़ती है कड़ियाँ और पहुँचती है एक बिन्दु पर जहां जीवन निरर्थक लगता है।
  continue reading
 
शादी के बाद भरा पूरा घर, एक गुले गुलज़ार आशियाना। बच्चों का धीरे धीरे उड़ जाना। कैसा होता है बाकी बचा जीवन और स्मृतियों में गोते लगाना।
  continue reading
 
स्त्री और पुरुष के अलावा ईश्वर ने एक तीसरा रूप भी गढ़ा है। समाज से परित्यक्त इस वर्ग के पास भी दिल है, भावनाएं और संवेदनाएं भी हैं। जहां अपने, अपने न हुये वही कभी कभी ये भी किसी के काम आते है और रिश्ते बनाते हैं।
  continue reading
 
बढ़ती उम्र और उसके सपने लेकिन सामाजिक वर्जनाओं के चलते लड़की होने की चिंताएं। एकल परिवार और बुजुर्गों के तिरस्कार का खामियाजा भुगतता परिवार।
  continue reading
 
एक स्त्री की सत्ता उसके पुरुष से बंधी है। पुरुष है तो उसका वजूद है। अगर परित्यक्ता है जीवन एक बोझ है, संत्रास है पीड़ा है। वह किसी की ज़रूरत नहीं, समाज के लिए उसका कोई वजूद नहीं। लेकिन अगर उसने अपने लिए मरूस्थल में एक बूंद की प्यास की भी इच्छा ज़ाहिर की तो वह पूरे समाज की जवाब देह है। कैसी विडम्बना है।
  continue reading
 
एक परित्यक्त स्त्री का जीवन एक अजीब जीवन यात्रा है। ज़िंदा होते हुये भी, हर पर मौत। यह मौत कब कब और कैसे होती है इसे गढ़ा है जयश्री रॉय ने। Story: Nisang Writer: Jaishree Roy
  continue reading
 
प्रेम की कोई भाषा नहीं, यह एक निज भाव है, बस जिससे होता है टूटकर होता। प्रेम की भाषा इंसान, पशु, पक्षी, वन्य जीव जन्तु सब समझते है और यह एक ऐसा सूत्र है जिससे कोई भी अनायास ही जन्म जन्मांतर के लिए बांध जाता है।
  continue reading
 
बेटी का जन्म लेना सिर्फ जन्म लेना नहीं होता वह अपने साथ लाती है ढेर सारी खुशियां, एक ठहरी हुई मुस्कुराहट, एक अपनापन, मधुरता और जीवन। लेकिन सामाजिक वर्जनाओं के चलते साथ में चलते हैं, दुख, पीड़ाएं और अनगिनत भय: Story: Neele Ghode wale sawaron ke naam Writer: Kamlesh Bhartiya
  continue reading
 
सीधी सरल ज़िंदगी अच्छी भली ज़िंदगी में, किसी की गलतियों का खामियाजा उसने भुगता। मन समझाया और उस औलाद को अपना लिया उसे प्रेम के साथ। Story: Jeevan Chalne ka Naam Writer: Narendra Kaur Chhabra
  continue reading
 
जीवन यात्रा में इंसान के कई पड़ाव होते हैं। परिवार और समाज इंसान को बांधे रखते हैं लेकिन उसका मन मधुर स्मृतियों में टका होता है और हर पल अपनी ज़मीन तलाशता रहता है। Story: Bunde, writer: Anjana Chhalotre
  continue reading
 
इंसान के मन का भेद जान पाना बड़ा मुश्किल है। जीवन में साथ रहते हुये भी किसके मन में क्या चल रहा है कोई पता नहीं लगा सकता। श्रद्धा नायक एक विवाहिता हैं और पति का एक दिन अचानक गायब होना कहानी को एक अजीब मोड पर ला देता है।
  continue reading
 
एक स्त्री के लिए भारतीय समाज में घर, परिवार और समाज बहुत मायने रखता है। बांझ शब्द से अभिशप्त नारी के लिए इस समाज में कोई जगह नहीं, लेकिन यहाँ शीला तो अब सब कुछ होते हुये भी ममत्व के सुख से महरूम है, जो उसे गहरे सालता भी है। यह सुख किसी भी स्त्री की पूर्णता के लिए ज़रूरी है।
  continue reading
 
एक स्त्री के लिए ममत्व की आस से बढ़कर कुछ नहीं। लेकिन यह सिर्फ उसी के हाथ में हो ऐसा नहीं है। पुरुष का संसर्ग और ईश्वर की सीधी नज़र और कृपा भी इसके लिए जरूरी है। इन सबके संयोग से ही उसके दामन में खुशी भरती है और वह पूर्ण होती है। इस संदर्भ में स्त्री का सब कुछ ठीक रहा तो उसका सौभाग्य और नहीं तो दुर्भाग्य और इसी के बीच में युगों युगों से फंसी है स्त्र…
  continue reading
 
कुछ दुख ऐसे होते हैं जिन्हें किसी को नहीं बता सकते हम।...पर रिश्तों में कभी कभी ऐसा भी होता है की आप इतना समझ जाते है इतना दुख पी लेते हैं की आगे मिलने वाला दुख बेअसर हो जाता है, फिर आप चलते नहीं...वहीं रुक जाते हैं। माज़ी की खूबसूरत यादों को दोहराते हैं। प्रेम में जीते हैं.....हँसते हैं...रोते हैं....मगर वो अतीत होता है।…
  continue reading
 
दुनिया परिवर्तनशील है तो प्रेम क्यों नहीं? जब हर चीज़ का एवोलुशन हो रहा है तो प्रेम का क्यों न हो। प्रेम की पड़ताल, सम्बन्धों की बारीकियाँ और सहज प्रेम के धारा को सहेजती यह कहानी आज रिश्तों को एक मजबूत आधार देती है और प्रेम में अपने लिए क्या बेहतर है इसे भी बहुत खूबसूरती से बताती है।
  continue reading
 
पिता के सिद्धान्त और पुत्र का यथार्थ के धरातल पर अपने ढंग से जीवन को देखने की दृष्टि को नई बात नहीं। अक्सर पिता पुत्र के सम्बन्धों में बहुत कुछ वक्त के साथ टूट जाता है। सिद्धांतवादी पिता के लिए यह एक असहनीय दर्द बनकर उभरता है, और उसे निरंतर सालता रहता है।
  continue reading
 
एक ऐसी संतान न जिसके आने की खुशी न जाने का गम लेकिन फिर भी क्या है एक स्त्री होना और उसकी पीड़ा से गुजरना। वह नदी सूखती नहीं सच वह अब भी बहती है।
  continue reading
 
एक स्त्री मात्रत्व की गहरी पीड़ा से गुजरते हुये स्वयं के गर्भ में ईश्वरीय लीला का कोप झेलती है। प्रेम, परिवार और जीवन के बीच झूलती यह कहानी स्त्री होने की और पाकर खोने की पीड़ा के धागों से बुनी गई है।
  continue reading
 
स्त्री और पुरुष सम्बन्धों में टकराता अहम और स्पेस की समस्या को लेकर लिखी गई एक बेहतरीन कहानी। प्रिया जहां प्रतिधित्व करती है आज की एक महत्वाकांक्षी स्वतंत्र विचारों से लैस एक आधुनिक नारी का, वहीं मनोहर एक पढ़ा लिखा नौजवान होकर भी पत्नी की मूल सत्ता को स्वीकार नहीं पाता। यह हर उस इंसान की कहानी है जो आज भी एक ठहरी हुई सोच के साथ जी रहा है।…
  continue reading
 
एक आम इंसान की दुनिया और उसके बहते दुख किसी न किसी रूप में बाहर आ ही जाते हैं। प्राचीन एतिहासिक इस्मारकों को घूमाने वाले गाइड भी समय और समाज को अपने ढंग से पढ़ते हैं। सुने एक ऐसी ही खूबसूरत कहानी - देश दर्शन जिसे लिखा है कमलेश भारतीय ने।
  continue reading
 
हताश निराश जीवन का कहर कहीं टूटता है तो वो या तो महिलाओं पर या बच्चों पर। पिता की नादानियों का खामियाजा भुगता एक मासूम बच्चे ने, कैसे एक फैसले से कई ज़िंदगियाँ बदल गईं। सुनिए प्रतिभा जौहरी के द्वारा लिखी कहानी झुलसी पंखुड़ियाँ।
  continue reading
 
प्रेम के रास्ते में परिवार, धर्म, रीतिरिवाज और सोच अक्सर आधे आती है लेकिन प्रेम सभी गंतव्यों को पार कर अपना रास्ता बना ही लेता है। नांसी और उसके प्रेमी का जीवन भी कुछ ऐसा ही है।
  continue reading
 
अनाथ शैरोन का टूटकर बिखरना और बिली में नए जीवन को तलाशना। प्रेम और ममत्व में उलहे बिली की कहानी का क्या अंजाम होगा।
  continue reading
 
बीली एक वयस्क तो हुआ लेकिन कुछ धारणाओं के साथ, उसे प्रेमिका तो मिली लेकिन उसने उसमें माँ देखनी चाही और प्रेमिका को माँ नहीं चाहिए।अंतत बीली ने माँ के अलावा अपने जीवन से औरत के किसी भी रिश्ते को अपनी डिक्सनरी से निकाल फेंका है।
  continue reading
 
औरत के कई रूप है, माँ, पत्नी, प्रेमिका, दोस्त, हमसफर और न जाने कितने। लेकिन बच्चा एक ही रूप जानता है, माँ का रूप। अपनी कैद एक ऐसी ही माँ और बेटे की नज़दीकियों की कहानी है, जिसमें वक़्त बदला, शरीर बदला, जीवन बदला लेकिन अगर नहीं बदला तो माँ का स्मृतियों में धंसा उसका गहरा रूप और प्रभाव।
  continue reading
 
रजवाड़ों में हवेलियों के पंजे से निकल पाना इतना आसान नहीं। प्रेम अगर आग है तो दर्द उसको और भड़काने वाला घी। एक तरफ सुवासिनी का जीवन, दूसरी और बिसन का जीवन और तीसरी ओर है कुँवर नाहर सिंह की सरकार, जहां इंसानी दर्द और पीड़ा की कोई सुनवाई नहीं। क्या कहानी के तीसरे भाग में प्रेम अपनी गति पाएगा या मिलेगी मौत?…
  continue reading
 
सुवासिनी की दशा उस परिंदे की तरह है जो बंद पिंजरे में छटपटा भी नहीं सकता। दुख है लेकिन उसे बता भी नहीं सकता, क्योंकि यहाँ हवेली के मर्दों के सामने कोई कानून नहीं। सुवासिनी की इस गहरी पीर को बिसन के अलावा एक और इंसान ने समझा है। इसे जानने के लिए सुनते है दर्द और बिखराव के बीच झूलती सुवासिनी की कहानी।
  continue reading
 
रजवाड़ों और हवेलियों में हमेशा से तमाम रज़ दफन होते हैं। शायद ही उनका किसी को पता चलता हो। घटनाओं को अंजाम देने में और तमाम गहरे छुपे राज़ों को छुपाने में हवेली के लोग ही शामिल होते हैं।सुवासिनी का कुँवर के साथ विवाह, उसका अपने पहले प्रेम में डूबा मन, उसके लिए काल बन जाता है। ऐसी ही एक खूबसूरत कहानी है 'तन मछरी, मन नीर'।…
  continue reading
 
मन की चाहत और हृदय के स्वाभाविक उच्छवास को परंपरा और रीति रिवाजों की भेंट चढ़ने देना और उसके बाद आजीवन एक सहज रिश्ते की कल्पना का अभिशाप झेलना देश के करोड़ों युवाओं की कहानी है। जीवन ढल तो किसी के भी साथ जाता है लेकिन क्या पीड़ित मन अपनी बात कह पाता है? आजीवन कृत्रिम गढ़े सम्बन्धों को न्यायोचित ठहराना और अंत में भाग्य में लिखा होने की कहानी को अपनी निय…
  continue reading
 
परिवार, समाज और संस्कार के चलते व्यक्ति के प्रेम से जुड़ी भावनाओं का दमन और गाहे बगाहे मन के किसी कोने से झांकती वो हसरतें बार बार सिर उठाती है। प्रेम में एक दोहरी ज़िंदगी आज इस देश की आधी से ज़्यादा आबादी का सच है। क्या सहज, सरल, स्नेहिल प्रेम के लिए इस समाज में कोई स्थान है? क्या इन रिश्तों को कोई नाम दिया जा सकता है? ऐसी ही तमाम किस्सो को यह कहानी …
  continue reading
 
गीताश्री देश की एक लोकप्रिय हिन्दी कथाकार हैं। आंचलिक कहानियों का हमेशा से एक सौन्दर्य रहा है। इस कहानी में रूंपा की अपनी एक छोटी सी दुनिया है, जो सजने, संवरने की चाहत में बिखरती, उजड़ती है और उसे ज़िन्दगी के एक ऐसे मकाम पर लाकर खड़ा कर देती है जहां भाग्य की नियति स्वयं इंसान के लिए कुछ तय करती है। क्या तय किया है रुंपा के लिए चलिए सुनते हैं आज की …
  continue reading
 
कथाकार गीताश्री के द्वारा लिखी गई यह कहानी भारत के अंचल विशेष के खूबसूरत परिवेश को उकेरती एक संवेदनशील कहानी है। जहां प्रेम है, अपना हक़ है, दुख और सुख के पल है और साथ ही है जीवन का घना अधियारा। सहज सरल भावनाओं में डूबती उतराती कहानी "सोनमछरी" आपको एक अनोखी दुनिया की सैर कराती है। जहां आपको मिलेगा ज़िंदगी का एक वास्तविक रंग, जहां यथार्थ पूरी तरह से ज…
  continue reading
 
पिंजरे के पंछी एक ऐसी कहानी जिसमें एक बुजुर्ग दंपति की छोटी छोटी हसरतें हैं, पूरी ज़िंदगी तपने और खटने के बाद एक सुकून की तलाश है। वही संतान की खातिर खुशियों का त्याग है। क्या वक्त के साथ नजदीकी रिश्तों में पनप रही संवेदनहीनता के चलते बची खुची ख्वाहिशें पूरी हो पाएँगी?
  continue reading
 
शहर हो या ग्रामीण परिवेश बुजुर्गों के लिए यह समय चुनौतियों से भरा हुआ है। एक तरफ खून का संबंध और दूसरी ओर बदलती हवा में बदलते रिश्तों को परत दर परत उघाड़ती ये कहानी अपने कलेवर में बहुत से प्रश्न समेटे है।
  continue reading
 
पिता और पुत्र के सम्बन्धों की एक भावनात्मक कहानी जिसमें बेटा पिता की संघर्षों को दरकिनार कर उनसे हमेशा यही पूछता है की "आपने मेरे लिए किया ही क्या है? इस गहरे प्रश्न का उत्तर पुत्र को एक अजीब घटना के माध्यम से मिलता है। यह कहानी वर्तमान समाज में सैद्धान्तिक जीवन निरादर और धन से व्यक्ति की प्रतिष्ठा के मूल्यों को स्थापित करते हुये समाज का एक आईना पे…
  continue reading
 
Loading …

Quick Reference Guide

Copyright 2025 | Privacy Policy | Terms of Service | | Copyright
Listen to this show while you explore
Play